लखनऊ (मुकेश कुमार) :उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बात की जाए तो यहां लखनऊ नगर निगम की कई ऐसी बहुमुल्य जमीनें हैं जो इन दिनों तालाब में तब्दील हो चुकी हैं। अकेले राजधानी के सरोजनी नगर सेकंड क्षेत्र की कालोनियों में ही कई ऐसी बहुमुल्य निगम की जमीनें हैं जिसका इस्तेमाल जनहित में या नगर निगम की आय के स्रोत के रूप में किया जा सकता है या इन जमीनों का प्रयोग नगर निगम लखनऊ की आय में वृद्धि के साधन के रूप में हो सकता है। परंतु जलनिकासी व सीवर लाइन के अभाव के कारण लोगों द्वारा इन जमीनों पर जलभराव द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से ही सही अतिक्रमण किया जा रहा है। यूं कहें तो इन बहुमुल्य जमीनों पर सालों साल जलभराव रहता है। हालत तो यह है कि कुछ बहुमुल्य जमीनें पुरी तरह से तालाब की शक्ल ले चुकीं हैं ।
जिसपर शायद ही कभी कोई कार्य किया जा सके। कुछ जमीनें तो जलभराव के कारण सालों भर जलकुंभी से पुरी तरह से ढकी रहती हैं। जिसके कारण इन क्षेत्रों में वर्तमान समय में मच्छरों का प्रकोप होने के साथ-साथ भविष्य में महामारी फैलने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। जरुरत है इन क्षेत्रों में सीवर जल निकासी की व्यवस्था करने की। जिससे यह बहुमूल्य जमीनें जलभराव से मुक्त हो सके।
पढ़ें यह भी खबर
- बड़ी कार्रवाई :: BPSC पास शिक्षकों को ससमय नहीं दी सैलरी तो के के पाठक ने सभी DEO और DPO के वेतन पर लगाई रोक
- बड़ा खुलासा :: कोविशील्ड वैक्सीन का साइड इफेक्ट आया सामने, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
- चुन्ना अपहरण मामले में लालबाबू समेत 9 दोषी करार, 15 मई को सजा पर होगी सुनवाई
- Corex पीकर नशे में पहुंचा दूल्हा, शादी के मंडप में दुल्हन ने उठाया बड़ा कदम
- बिहार ANM बहाली पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, 10709 पदों पर भर्ती का रास्ता साफ
- Instagram पर हुआ प्यार, रात के अंधेरे में गर्लफ्रेंड से मिलने पहुंचा प्रेमी तो गुस्साए लोगों ने जमकर पीटा
- झंझारपुर में गरजे अमित शाह, बोले मोदी तीसरी बार भी बनेंगे प्रधानमंत्री
- भाजपा के कौरवों से डटकर लड़ रहीं ममता दीदी, दुर्गापुर में जनसम्पर्क के दौरान बोले TMC प्रत्याशी कीर्ति आजाद
यहां ज्ञात हो कि आजाद नगर, तपोवन नगर,बदाली खेड़ा, रुस्तम बिहार,समा बिहार, मकदूम नगर आदि सरोजनी नगर सेकंड लखनऊ की प्रमुख कालोनियों में जलनिकासी की कोई भी व्यवस्था नहीं है। बारिश के मौसम में इन क्षेत्रों की दयनीय स्थिति देखकर आप भी अचरज में पड़ सकतें हैं। परंतु जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ विभाग के अधिकारियों ने भी जनहित में अति आवश्यक समस्या के समाधान के लिए ध्यान नहीं दिया।