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राजद छोड़ते ही दुनिया छोड़ गए राजनीति के धुरंधर रघुवंश बाबू

पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद का रविवार को निधन हो गया। रघुवंश प्रसाद ने दिल्ली एम्स में आखिरी सांस ली। उनके फेफड़े में संक्रमण था जिसकी वजह उन्हें भर्ती कराया गया था।अचानक हालत खराब होने के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह को वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनके निधन पर जेडीयू नेता केसी त्‍यागी ने शोक प्रकट करते हुए कहा कि यह राजनीति की सबसे बड़ी क्षति है।   

पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद की दो दिन पहले अचानक तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें दिल्ली एम्स लाया गया। एम्स में इलाज हुआ तो पता चला कि उनके फेफड़े में संक्रमण की शिकायत है। डाक्टरों ने बताया कि संक्रमण बढ़ जाने से सांस लेने में परेशानी हो रही है। तबीयत और बिगड़ी तो डाक्टरों ने तत्काल वेंटिलेटर पर डाल दिया। लाइफ सपोर्ट पर जाने के बाद भी रघुवंश प्रसाद की सेहत में कुछ सुधार नहीं हुआ। और रविवार दिन में उनका निधन हो गया। 

आइसीयू से भी कल ही उनका एक पत्र नीतीश कुमार के नाम से जारी हुआ था। राजद से इस्तीफा देने वाले रघुवंश के सारे पत्र 10 सितंबर को ही लिखे हुए थे। शनिवार को फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम से जारी पत्र में उन्होंने वैशाली की चिंता की थी। पत्र में उन्होंने वैशाली के तालाबों को जल-जीवन-हरियाली अभियान से जोडऩे का आग्रह किया। साथ ही विश्व के प्रथम गणतंत्र के सम्मान में महात्मा गांधी सेतु रोड में हाजीपुर के पास भव्य द्वार बनाकर मोटे अक्षरों में विश्व का प्रथम गणतंत्र वैशाली द्वार अंकित कराने का आग्रह किया था।

उन्होंने राष्ट्रकवि दिनकर की वैशाली से संबंधित कविताओं को जगह-जगह मोटे अक्षरों में लिखवाने का आग्रह किया था, ताकि आने-जाने वाले लोग दूर से ही पढ़ सकें। वहीं उन्होंने बज्जीनां सत अपरीहानियां धम्मा के अनुसार सातो धर्मो का उल्लेख जगह-जगह बड़ी दीवार पर पाली, हिंदी और अंग्रेजी में लिखवाने तथा वैशाली के उद्धारक जगदीशचंद्र माथुर की प्रतिमा लगाने का भी आग्रह किया था।

तीन दिन पहले ही उन्होंने लालू यादव को पत्र लिखकर राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) से इस्‍तीफा दे दिया था। रघुवंश प्रसाद सिंह को भेजी गई चिट्ठी में लालू प्रसाद यादव ने लिखा था, ‘प्रिय रघुवंश बाबू, आपके द्वारा कथित तौर पर लिखी एक चिट्ठी मीडिया में चलाई जा रही है। मुझे वो विश्वास ही नहीं होता। अभी मेरे और मेरे परिवार के साथ ही राजद परिवार भी आपको स्वस्थ होकर अपने बीच देखना चाहता है।’  ‘चार दशकों में हमने हर राजनीतिक, सामाजिक और यहां तक कि पारिवारिक में मिल बैठकर विचार किया है। आप जल्द स्वस्थ हों, फिर बैठ के बात करेंगे। आप कहीं नहीं जा रहे हैं। समझ लीजिए। आपका, लालू प्रसाद।’

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