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मिथिला-मैथिली के नामचीन विद्वानों ने फेस्टिवल के तीसरे दिन की शिरकत, लिए गए कई फैसले

मधुबनी संवाददाता: राजनगर स्थित राजपरिसर में चल रहे चार दिवसीय समारोह के तीसरे दिन विमर्श सत्र में मिथिला मैथिली के नामचीन विद्वानों ने शिरकत की । इस अवसर पर आयोजन के तीसरे दिन के मुख्य अतिथि अपर मुख्य सचिव सह बिहार सरकार के राजस्व परिषद के अध्यक्ष त्रिपुरारी शरण को कार्यक्रम की संयोजिका डॉ सविता झा खान ने फेस्टिवल की मोमेंटो देकर सम्मानित किया । फेस्टिवल में विमर्श के लिए मचान एवं दुर्गा दलान नाम से दो मंच बनाया गया था । दोनों ही मंच से आमंत्रित वक्ताओं ने विमर्श सत्र के खेतीबारी में आज भी खड़े हैं किसान, बतकही में मैथिली साहित्य में विज्ञान चेतना आ लेखन, मैथिली सत्र में भारतीय वाङ्गमय में सीता, नेना भुटका सत्र में बाल साहित्य सर्जन आदि विषयों पर विद्वानों ने अपना विचार प्रस्तुत किया ।

मैथिली साहित्य में विज्ञान चेतना विषय पर विमर्श करते वक्ता डॉ संजीव शमा, डॉ विद्यानाथ झा के साथ अजय पाठक

दुर्गा दलान पर आयोजित बतकही सत्र में मैथिली साहित्य में विज्ञान चेतना आ लेखन विषय पर अपना विचार रखते हुए वक्ता डॉ संजीव शमा ने कहा कि मैथिली भाषा में प्रकाशित होने वाली सभी पत्रिकाओं में विज्ञान आलेख के लिए एक स्थायी स्तंभ की आवश्यकता को बताया । विज्ञान के विभिन्न विधाओं में यथा चिकित्सा,पर्यावरण,भौतिकी,रसायन, जीवविज्ञान, ज्योतिष, आयुर्वेद आदि विज्ञान के अध्यापक एवं लेखक अपने विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित शोध आलेखों को पुस्तकाकार रूप देने की बात कही। उन्होंने विमर्श के दौरान शिक्षा का माध्यम मातृभाषा मैथिली बने इस पर जोर देते हुए विज्ञान चेतना एवं लेखन में विज्ञान के अध्यापकों के अवदान की चर्चा करते हुए कई उदाहरण एवं सन्दर्भों का उल्लेख किया। डॉ विद्यानाथ झा ने मैथिली साहित्य में विज्ञान चेतना से जुड़े कई तथ्यों को सामने रखा। सत्र का संचालन करते हुए अजय पाठक ने प्राप्त निष्कर्षों को अमलीजामा पहनाए जाने पर बल दिया ।

भारतीय वाङ्गमय में सीता विषय पर विमर्श करते डॉ महेंद्र नारायण राम एवं विभा झा के साथ अखिलेश झा

मचान मंच पर आयोजित विमर्श के विषय भारतीय वाङ्गमय में सीता सत्र में विद्वान वक्ता डॉ महेन्द्र नारायण राम ने सीता के संदर्भ में अपना विचार रखते हुए कहा कि सीता रामायण की एक महत्वपूर्ण भूमिका में है । साहित्य एवं अध्यात्म दोनों ही सन्दर्भ में सीता के आदर्श चरित्र को बताया । उन्होंने मिथिला में आदर्श नारी की चर्चा करते हुए बनस्पति,अपरावती,बहुला ठकुराइन,कुसुमावती,चनैन, सती बिहुला जैसे अनेकों नारी के आदर्श को एक प्रतीक के रूप में दर्शाया । दूसरे वक्ता के रुप में विभा झा ने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से सीता के दोहरे चरित्र से कन्फ्यूज हूँ ।

मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल में वक्ता डॉ संजीव शमा को सम्मानित करते हुए प्राचार्य हीरानंद आचार्य

विवाह से पूर्व एवं विवाह के बाद सीता की भूमिका को लेकर उन्होंने कहा कि इस विषय पर विद्वानों एवं शोधकर्ताओं को कलम चलाने की आवश्यकता है । सत्र का संचालन अखिलेश झा कर रहे थे । सत्र के समापन पर विएसजे कॉलेज के प्राचार्य हीरानंद आचार्य ने वक्ता डॉ विद्यानाथ झा एवं डॉ संजीव शमा को वहीं गंगेश जी ने विद्वान वक्ता डॉ महेन्द्र नारायण राम एवं विभा झा को तौनी,फेस्टिवल मोमेंटो एवं किट देकर सम्मानित किया । मौके पर फेस्टिवल से जुड़े कार्यकर्ताओं में पायल, शोधार्थी विनीत कुमार दास, पंकज झा, रिपुंजय ठाकुर समेत विद्वान श्रोताओं में हीरेन्द्र झा, हितनाथ झा, प्रदीप झा, नारायण झा आदि मौजूद थे ।

मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल में सम्मानित होते डॉ महेन्द्र नारायण राम

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