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सपा-बसपा गठबंधन टूटने के संकेत, 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव अकेले लड़ने की तैयारी में बसपा

लखनऊ (राज प्रताप सिंह) : लोकसभा चुनाव से पहले हुआ बसपा-सपा गठबंधन अंतत: दरकता हुआ दिखाई दे रहा है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने दिल्ली में सोमवार को बुलाई बैठक में गठबंधन के टूटने के लगभग संकेत दे दिए हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव से यूपी में खाली हुई 11 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव लड़ने के लिए तैयारियों के निर्देश दिए हैं। बसपा आमतौर पर उप चुनाव नहीं लड़ती है। इसके साथ ही

सभी विधानसभा सीटों पर नए सिरे से भाईचारा कमेटियां खड़ी करने को कहा है। उनके इस निर्देश को 2022 में विधानसभा की सभी सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारियों से जोड़कर भी देखा जा रहा है।

गठबंधन का नहीं मिला फायदा

मायावती ने सोमवार को दिल्ली में यूपी के जिलाध्यक्षों, जोन इंचार्जों, नवनिर्वाचित सांसदों व लोकसभा प्रत्याशियों की बैठक बुलाई थी। उन्होंने बैठक में पहले जोनवार रिपोर्ट ली। गठबंधन के फेल होने के कारणों को पूछने के बाद कहा कि बसपा को गठबंधन से कोई फायदा नहीं हुआ। यादव वोट पूरी तरह से नहीं मिले। अगर मिले होते तो फिर तो रिजल्ट और भी बेहतर होता। सपा के लोगों ने कई जगहों पर गठबंधन के खिलाफ काम किया। मुसलमानों ने हमारा पूरा साथ नहीं दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ सीटों पर सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने हमारे खिलाफ काम किया।

बसपा ने निभाया गठबंधन धर्म

बताया जाता है कि मायावती ने यह भी कहा कि बसपा ने गठबंधन धर्म पूरी तरह से निभाया। बसपा के वोट सपा उम्मीदवारों के पक्ष में पूरी तरह पड़े, लेकिन उनके समर्थक यादवों ने पूरी तरह से कई स्थानों पर बसपा उम्मीदवारों को

वोट नहीं दिए। एक तरह से देखा जाए तो सपा वोट ट्रांसफर कराने में फेल होने रही है। इतना ही नहीं सपा के लोग अखिलेश के परिवार की सीटों को भी बचा पाने में फेल रहे। मायावती के इस बयान से बसपा-सपा गठबंधन का भविष्य करीब-करीब तय होता हुआ दिखाई दे रहा है।

शिवपाल का तीन बार नाम लिया

बताया जाता है कि मायावती ने बैठक में शिवपाल यादव का करीब तीन बार नाम लिया। उन्होंने कहा कि शिवपाल ने कई जगहों पर यादव वोट को भाजपा के लिए ट्रांसफर करा दिया। यह बात अलग है कि उन्होंने अखिलेश यादव की सीधे तौर पर कोई आलोचना नहीं की है।

सभी जोन इंचार्ज हटाए गए

बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव के लिए बनाए गए जोन इंचार्ज की व्यवस्था को खत्म करते हुए उन्हें उनके पदों से हटा दिया है। उन्होंने पूर्व की तरह मंडलवार व्यवस्था फिर से बहाल कर दी है। प्रत्येक मंडलों के प्रभारी बनाए गए हैं।

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