लखनऊ (राज प्रताप सिंह ) : लोकसभा चुनाव के बाद मंगलवार को हुई उत्तर प्रदेश राज्य मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में लिये गये निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में गौवंश संरक्षण एवं संवर्धन कोष के लिये कॉर्पस फण्ड के प्रकरण को अनुमोदित किया गया है।
उन्होंने बताया कि इसी साल जनवरी में यह विषय मंत्रिपरिषद में आया था, तब यह निर्णय लिया गया था कि राज्य स्तर पर कोष की स्थापना की जाए। उसके संचालन के लिये कॉर्पस फण्ड के अनुमोदन के मामले को आज कैबिनेट में रखा गया था।
सिंह ने बताया कि कोष के लिये धनराशि दान एवं चंदे के माध्यम से, केन्द्र और राज्य सरकार की मदद से, सरकारी संगठनों द्वारा दी जाने वाली राशि, किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति या औद्योगिक संगठन, गैर सरकारी संगठन, धर्मार्थ संस्था से प्राप्त धनराशि, मंडी परिषद से आने वाले मंडी शुल्क का दो प्रतिशत हिस्सा, आबकारी विभाग के वार्षिक राजस्व के 0.50 प्रतिशत हिस्सा और पथकर का भी 0.50 प्रतिशत हिस्सा लिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम—1973 में संशोधन के तहत विशेष रूप से अमेठी में मौजूद कॉलेजों को डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से सम्बद्ध करने का निर्णय लिया है।
सिंह ने बताया कि अमेठी के विभिन्न कॉलेजों को पूर्व में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से सम्बद्ध किया गया था। अमेठी से कानपुर की दूरी करीब 250 किलोमीटर होने की वजह से लोगों को मुश्किल होती थी। लिहाजा अब अमेठी के सभी कॉलेजों को अवध विश्वविद्यालय के साथ सम्बद्ध किया जाएगा, जो कि 90 किलोमीटर दूर है।
मंत्रिपरिषद के एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय के तहत राज्य सरकार अब रमाला सहकारी चीनी मिल का 100 फीसद वित्तपोषण करेगी। पूर्व में इस मिल का संचालन 50 प्रतिशत राज्य सरकार के अनुदान और 50 फीसद बाहर से कर्ज लेकर होता था। अब राज्य सरकार इसका 100 फीसद वित्तपोषण करेगी, क्योंकि रिजर्व बैंक के नियम—कायदे बदलने के कारण बाहर के बैंकों से कर्ज लेने में कठिनाई हो रही है।
सिंह ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने एक अन्य निर्णय में गौतमबुद्ध नगर में जेवर के पास नोएडा अंतर्राष्ट्रीय ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के निर्माण के लिये हुए भूमि अधिग्रहण के एवज में विस्थापन एवं पुनर्वास (आर एण्ड आर) के लिये 894 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर ऐसा हवाई अड्डा बनाने में सात—आठ साल लग जाते हैं मगर इस परियोजना में पिछले दो साल के अंदर काफी प्रगति हुई है।
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सिंह ने बताया कि इस परियोजना के लिये कुल 1426 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, जिसमें से 1200 हेक्टेयर से कुछ ज्यादा भूमि निजी है। इसे भूमि अधिग्रहण कानून के तहत लिया जा रहा है। इसके तहत दो तरह का मुआवजा दिया जा रहा है। एक भूमि की दर का और दूसरा आर एण्ड आर का। भूमि का मुआवजा तो दिया जा चुका है। यह धनराशि वितरित होने के तुरंत बाद जमीन नामांतरण की कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही साथ आर एण्ड आर प्रतिपूर्ति भी की जा रही है। उसी के लिये आज 894 करोड़ रुपये की अनुमति मंत्रिपरिषद से मिली है। इसके वितरण का काम भी जल्द शुरू हो जाएगा।
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