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उत्तर प्रदेश में अप्रैल से महंगी हो सकती है शराब व बीयर, 15 दिन में हो सकता है ऐलान

राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो।उत्तर प्रदेश में अप्रैल से शौकीनों को पीने-पिलाने में अपनी जेब कुछ और ढीली करनी पड़ सकती है। वित्तीय वर्ष 2020-21 की आबकारी नीति में शराब व बीयर की दुकानों की लाइसेंस फीस और एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का प्रस्ताव है। बढ़ोतरी होने पर राज्य में शराब और बीयर के दाम बढ़ सकते हैं। फिलहाल शराब व बीयर विक्रेताओं, शराब बनाने वाली डिस्टलरियों के प्रतिनिधियों व विभाग के अधिकारियों के साथ कई चक्रों की बातचीत के बाद आबकारी नीति को अंतिम रूप दे दिया गया है। पता चला है कि आबकारी आयुक्त ने नीति का मसौदा शासन को भेज दिया है। उम्मीद है कि अगले 15 दिनों में अगले वित्तीय वर्ष के लिए आबकारी नीति घोषित कर दी जाएगी।

लाइसेंस का नवीनीकरण होगा

इसके बाद जनवरी के अंतिम सप्ताह से शराब व बीयर की दुकानों के लाइसेंस आवंटन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सबसे पहले मानक पूरे करने वाले विक्रेताओं के लाइसेंस का नवीनीकरण होगा। जो विक्रेता नवीनीकरण नहीं करा सकेंगे, उनकी दुकानों के लाइसेंस आवंटन के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित होंगे और फिर उन आवेदनों पर लाटरी ड्रा कराया जाएगा। प्रदेश सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 के लिए एक साथ इस साल की शुरुआत में ही आबकारी नीति तय कर दी थी। कमोबेश वही नीति जारी रहेगी।

अफसर समय बढ़ाने व विक्रेता बार कोडिंग खात्मे की कर रहे मांग

मगर इस नीति में विभाग के अधिकारी राजस्व बढ़ाने के लिए शराब व बीयर की बिक्री के समय को सुबह 10 बजे से रात 10 बजे के बजाए सुबह 9 बजे से रात 11 बजे तक चाहते हैं। हाल ही में शराब विक्रेता वेलफेयर एसोसिएशन उ.प्र. ने आबकारी आयुक्त और प्रमुख सचिव आबकारी को इस बाबत एक ज्ञापन भी दिया है। इस ज्ञापन में मौजूदा नीति के कई बिन्दुओं पर एतराज जताया गया है। विक्रेता शराब व बीयर की दुकानों से फुटकर बिक्री में हर बोतल पर अंकित बार कोड की स्कैनिंग की अनिवार्यता खत्म करने की मांग कर रहे हैं। एसोसिएशन के महासचिव कन्हैया लाल मौर्य की ओर से दिये गये इस ज्ञापन में मौजूदा नीति से शराब व बीयर की थोक व फुटकर बिक्री में पेश आ रही दिक्कतों का हवाला देते हुए इनके समाधान की मांग की गई है।


फिलहाल चालू वित्तीय वर्ष में आबकारी मद से राजस्व आय की प्राप्ति 30 नवम्बर तक 17 हजार 343 करोड़ रुपये की हुई है, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 में 30 नवम्बर तक 15 हजार 500 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था। पिछले साल के मुकाबले इस बार पहली अप्रैल से 30 नवम्बर के बीच आबकारी राजस्व में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पिछले वित्तीय वर्ष में आबकारी विभाग से राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य 29 हजार करोड़ रुपये था, जिसके सापेक्ष 23 हजार 900 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था। इस बार का लक्ष्य 33 हजार 600 करोड़ रुपये का तय हुआ है। विभाग के जानकारों के मुताबिक इस बार मार्च के अंत तक 28 से 29 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने के आसार हैं।

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