ज्ञान सिंह (लखनऊ) :: सोना एवं प्रियसिस मेटल पर डियूटी 12:5 परसेंट करना गलत निर्णय है इससे छोटे एवं मध्यम वर्गीय सोना चांदी के कारोबारी एवं अन्य धातुओं के व्यापारियों का मनोबल गिरेगा साथ ही साथ इन धातुओं की महंगाई भी बढ़ेगी और छोटे एवं मध्यम वर्गीय व्यापारियों का व्यापार मंदी के दौर में जाएगा अनैतिक कारोबार को बढ़ावा मिलेगा जबकि भारत देश में सोना एक करेंसी के रूप में इस्तेमाल होता है ना की भारत में यह विलासिता की वस्तु है क्योंकि गरीब परिवार मध्यमवर्गीय परिवार अपनी सीमित बचत से सोना एवं उससे निर्मित जेवर खरीदता है और समय दर समय आवश्यकता पड़ने पर उसे बेचता है या उसे गिरवी रखकर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है भारत में इसे विलासिता की वस्तु मानना उचित नहीं है
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पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के द्वारा इसे विलासिता की वस्तु मानकर 10 परसेंट तक डयूटी बढ़ाई गई थी जिसे अब और बढ़ा दिया गया है जो कि भारत के साढे 3 करोड़ छोटे एवं मध्यम वर्गीय सर्राफा और स्वर्णकार व्यापारियों के लिए उचित निर्णय नहीं है।। इसके साथ ही पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए ताकि डीजल का रेट कम हो सके जिससे अन्य सामान भी सस्ता हो सके और मंडी कर को खत्म कर देना चाहिए सरकार का ये बजट जनता के लिए आसमान के तारे के जैसे है जो दिख रहा है परन्तु मिल नही सकता है।
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