माल/लखनऊ (राम किशोर रावत) : विश्व में विख्यात मलिहाबादी दशहरी आम के हरे भरे प्रतिबंधित 18 पेड़ों को वन विभाग व पुलिस विभाग की सांठगांठ के चलते लकड़ी माफियाओं द्वारा चलाया गया आरा। रक्षक ही बन रहे भक्षक भक्षक।

माल थाना क्षेत्र के गोड़वा गांव निवासी रणजीत की नहर के पास आम की बाग में खडे दशहरी के 18 पेड़ हरे-भरे फलदार खड़े थे जिन्हें पुलिस और वन विभाग के रहमों करम पर बिना परमिट के लकड़ी माफियाओं द्वारा चलाया गया आरा।इस लकड़ी को डाले में लादकर एकांत जगह पर डालकर फिर ट्रक य डीसीएम में लोड करके लखनऊ सीतापुर सहित अन्य लकड़ी मंडियों में बेची जा रही है। यह खेल वन विभाग से लेकर पुलिस विभाग जानने के बाद भी अंजान बने रहते हैं। जबकि इन्हीं पेड़ों की दशहरी अपने स्वाद के लिए विश्व में विख्यात है फल पट्टी क्षेत्र घोषित होने
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के बाद इनकी जिम्मेदारी वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की है। लेकिन वन विभाग के अधिकारी रक्षक ही भक्षक बन रहे हैं तो कौन करेगा इन हरे भरे पेड़ों की रखवाली। समय रहते अगर इन हरे भरे आम के पेड़ों पर प्रतिबंध ना लगाया गया तो मलिहाबाद फल पट्टी क्षेत्र का नाम तो रहेगा लेकिन या हरे भरे आम के पेड़ नहीं रहेंगे। जब की इस कारोबार में पुलिस व वन विभाग का लकड़ी माफियाओं को पूरा संरक्षण दिया जाता है जिसके चलते यह लकड़ी माफिया क्षेत्र में आम शीशम नेम सागवान चंदन जैसे प्रतिबंधित हरे भरे पेड़ों पर चलाया जाता है आरा यह लकड़ी लखनऊ सहित अन्य लकड़ी मंडियों में भी बिक्री के लिए भेजी जाती है शिकायत होने पर भी ठेकेदार की मदद करने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं जिम्मेदार। उच्च अधिकारियों के यहां शिकायत करने के बाद भी वन विभाग के जिम्मेदार कार्यवाही करने से कतराते नजर आते रहते हैं।