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आशा-एएनएम अब डोर टू डोर, गैर संचारी रोग से ग्रसित पीड़ितों की करेंगी पहचान

मधुबनी : गैर संचारी रोग से पीड़ित लोगों की पहचान की जा रही है. जिले में 1 फ़रवरी से गैर संचारी रोग जाँच कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जो आगामी 15 मार्च तक चलेगा.

इसको लेकर गुरूवार को सदर अस्पताल के सभागार में जिले के 11 प्रखंडों के आशा और एएनएम के लिए गैर संचारी रोगों पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया.

  • 11 प्रखंडों के आशा और एनएनएम को दी गयी प्रशिक्षण
  • 15 मार्च तक चलेगा गैर संचारी रोग जाँच कार्यक्रम

इस दौरान मॉड्यूल 5,6 एवं 7 पर विस्तार से जानकरी दी गयी, जिसमें जीवनशैली में बदलाव कर गैर संचारी रोगों की रोकथाम के विषय में भी जानकारी दी गयी.

इन प्रखंडों को किया गया शामिल
मधुुबनी जिले के 11 प्रखंड के 30 आशा एवं 15 एएनएम को चार दिवसीय प्रशिक्षण दी जा रही है. जिसमें बेनीपट्टी, बिस्फी,हरलाखी,झंझारपुर,खुटना, लदानियां, लौकहा, लौकही,पंडोल फुलपरास और राजनगर प्रखंड को शामिल किया गया है.

आशा और एएनएम को दी गयी जिम्मेदारी
इस अवसर पर जिला गैर संचारी नोडल पदाधिकारी डॉ. एसपी सिंह ने बताया जिले में 1 फ़रवरी से गैर संचारी रोग जाँच कार्यक्रम चलाया जा रहा है. यह अभियान 15 मार्च तक चलेगा. अभियान का मुख्य उद्देश्य जिले में अधिक से अधिक गैर संचारी रोगों से पीड़ित लोगों की पहचान करना है. जिमसें शामिल मधुमेह, ब्लड प्रेशर एवं कैंसर जैसे रोग शामिल हैं. उन्होंने बताया इसके लिए आशाओं एवं एएनएम को जिम्मेदारी दी गयी है. आशा घर-घर जाकर लक्षणों के आधार पर संभावित रोगियों की पहचान करेंगी . जबकि एएनएम को चिन्हित रोगियों की स्क्रीनिंग करने की जिम्मेदारी दी गयी है. स्क्रीनिंग के बाद रोग की पुष्टि होने पर रोगियों को निकट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा के लिया भेजा जाता है. साथ ही वहाँ समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं होने पर ऐसे रोगियों को बेहतर उपचार के लिये जिला अस्पताल या डीएमसीएच रेफर किया किया जाएगा.

जीवन शैली में परिवर्तन लाना जरुरी
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. किशोर चंद चौधरी ने बताया ब्लड प्रेशर एवं मधुमेह जैसे गैर संचारी रोगों की रोकथाम इनके उपचार से बेहतर है. इसके लिए आम लोगों को अपने जीवन शैली में बदलाव लाने की जरूरत है. इसमें संयमित खान-पान, दैनिक शारीरिक व्यायाम एवं चिंता मुक्त जीवन शैली महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. किसी भी कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करने में आशा एवं एएनएम की भूमिका महत्वपूर्ण है. इसलिए गैर-संचारी रोग से पीड़ित लोगों की पहचान के लिए आशा और एएनएम को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गयी है. मौके पर एसीएमओ डॉक्टर सुनील कुमार सहित जिला स्तरीय अन्य स्वास्थ्य पदाधिकारी उपस्थित थे.

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