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मिथिलाक्षर में भी दरभंगा एयरपोर्ट का हो नामपट्ट, वर्चुअल मोड में जुड़े भारत सहित 19 देशों के प्रवासी मैथिल

राजू सिंह की रिपोर्ट दरभंगा : मिथिला और मिथिलाक्षर का अस्तित्व सदियों से रहता आया है। बीच के एक संक्षिप्त कालखंड में भले ही इसकी स्थिति थोड़ी निराशाजनक रही हो, लेकिन एक बार फिर से मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए मैथिली भाषा और धरोहर लिपि मिथिलाक्षर को लेकर आम मैथिल में चेतना जागृत हो गई है। यह निश्चित रूप से इसके सुखद भविष्य के लिए शुभ संकेत है। यह बातें रविवार की देर शाम मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के आठवें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित पाक्षिक समारोह के समापन अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने कही।

वर्चुअल मोड में सृष्टि फाउंडेशन के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यदि मिथिलाक्षर लिपि का प्रयोग दैनिक कार्यों में नहीं किया गया तो यह पुन: मृतप्राय हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हालांकि मिथिलाक्षर की शत-प्रतिशत साक्षरता के प्रति इस अभियान से जुड़े अभियानी कृत संकल्प हैं लेकिन मिथिलाक्षर को चलन में लाना सभी मैथिली भाषियों की जिम्मेवारी है।

मौके पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय पीजी मैथिली विभाग के अध्यक्ष प्रो रमेश झा ने कहा कि धरोहर लिपि मिथिलाक्षर का पुनर्जागरण आह्लादित करने वाला है। उन्होंने कहा कि संविधान में शामिल अधिकतर भाषाओं को जहां अपनी स्वतंत्र लिपि नहीं है। ऐसे में हमारी धरोहर लिपि मिथिलाक्षर मैथिली को विशिष्टता प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास होगा कि मैथिली पाठ्यक्रम में मिथिलाक्षर को यथोचित स्थान मिलने के साथ-साथ मिथिलाक्षर में मैथिली की उत्तर पुस्तिका लिखने वाले अभ्यर्थियों के सभी तरह के शिक्षण शुल्क माफ किए जाएं ताकि मैथिली के आम छात्रों के बीच अपनी धरोहर लिपि के प्रति आकर्षण बढ़ाया जा सके।

वरिष्ठ पत्रकार विष्णु कुमार झा ने कहा कि अभियान के गहन अवलोकन से एक बात खासतौर पर सामने आता है कि इसमें प्रशिक्षित होने वालों में अधिकांश युवा हैं और यह अभियान सबसे अधिक युवाओं की जनसंख्या वाले भारत देश में एक युवा सोच की उपज है। साथ ही यह सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर निरंतर चौबीसो घंटे चलने वाली इकलौती पाठशाला है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अभियान के वरीय संरक्षक प्रवीण कुमार झा ने बताया कि सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर मिथिलाक्षर की पाठशाला सजाकर देश-विदेश के अब तक करीब पांच लाख लोगों को मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के माध्यम से मिथिलाक्षर में साक्षर बनाने का पं अजय नाथ शास्त्री का कार्य मैथिली भाषा और लिपि के लिए ढोल पीटने वाले लोगों के लिए नजीर पेश कर रहा है। गंधर्व कुमार झा की वेद ध्वनि प्रस्तुति के बीच अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। जबकि सृष्टि फाउंडेशन की वरीय छात्रा प्रियांशी मिश्रा द्वारा कवि कोकिल विद्यापति रचित गोसाउनि गीत जय जय भैरवि पर ओडिसी शैली में प्रस्तुत भावपूर्ण नृत्य के साथ कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई । इसके अतिरिक्त उन्होंने मैथिली पुत्र मैथिली पुत्र प्रदीप की कालजयी रचना जगदंबा अहीं अबलंब हमर… गीत पर भी ओडिसी शैली में भाव नृत्य प्रस्तुत किया। जिसने वर्चुअल मोड में जुड़े भारत सहित 19 देश के प्रवासी मैथिल दर्शकों का मन मोह लिया।

मौके पर आकाशवाणी दरभंगा के कलाकार दीपक कुमार झा एवं डॉ सुषमा झा की संगीतमय प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। अभियान के संस्थापक पं अजय नाथ शास्त्री की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में अतिथियों का स्वागत मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के आचार्य वंशीधर झा, डा हरेकृष्ण झा एवं उग्रनाथ झा ने मिलकर किया। अध्यक्षीय संबोधन में पं शास्त्री ने अभियान के उद्देश्यों एवं उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि कोरोना काल में चाहे लाख बुराईयां रही हो, लेकिन यह मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के लिए सुखद संयोग लेकर आया। उन्होंने कहा कि घर में रहने को मजबूर लोगों ने इस अवधि में खुले मन से मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान से जुड़कर इस अभियान को गति प्रदान की है। अभियान की भावी गतिविधियों से संबंधित प्रस्ताव रखते हुए वरिष्ठ संरक्षक कृष्ण कांत झा ने दरभंगा एयरपोर्ट का नामपट्ट अन्य भाषाओं के साथ मिथिलाक्षर में भी लिखे जाने की बात रखी। जिसका सभी ने ध्वनि मत से स्वागत किया।

कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन सृष्टि फाउंडेशन के संस्थापक जय प्रकाश पाठक ने किया। कार्यक्रम में रूना मिश्रा, मार्तंड रत्नम, सुबोध दास, कुणाल राज, नवल किशोर झा, सत्यम, आयुष कुमार आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। इससे पहले सोशल मीडिया के ट्वीटर प्लेटफार्म पर हैशटैग मिथिलाक्षर दिवस नाम से मेगा ट्रेंड भी चलाया गया जो भारत में तीसरे नंबर तक पहुंच बनाने में सफल रहा।

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