मोहनलालगंज/लखनऊ (सूरज अवस्थी) : ब्लॉक मोहन लाल गंज में लगने वाली सात दर्जन पंचायतो व उनके मजरों में हजारों की संख्या में कुएं है , लेकिन आलम ये है कि कुओ का पानी दूषित हो जाने के चलते ग्रामीणों ने मज़बूरन उनका उपयोग करना बंद कर दिया और इंडिया मार्का नलो का पानी पीने लगे , जिसका खामियाजा ये हुआ कि अधिकतर कुएं

ग्रामीणों ने पाट दिए और उनको अपने कब्जे में ले लिया और उन जगहों पर पहले उपले पाथने का काम शुरू हो गया बाद में कोठरी बना ली । वही अभी भी सैकड़ो की संख्या में गांवो में कुएं है अधिकतर सूखे पड़े है , और जिनमे पानी है उनका इस्तेमाल न होने के कारण व साफ सफाई न होने के चलते धीरे धीरे वो भी अवैध कब्जेदारी की जद में है ।
बुजुर्ग ग्रामीणों के मुताबिक करीब पंद्रह वर्ष पूर्व समस्त ग्रामीण जनता कुओ के पानी का ही इस्तेमाल करते थे , और उन्ही कुओ के पानी को हमारे बुजुर्ग व परिवार पीकर पले बढ़े है । अब भले ही मिनिरल वाटर का प्रयोग हो रहा है , लेकिन पहले लोग बीमार कम होते थे लेकिन आज जो स्थिति है , वो किसी से छुपी नही है । बशर्ते जो भी हो यदि समय रहते प्रशाशन ने बचे खुचे कुओ की तरफ ध्यान नही दिया और पंचायत द्वारा उनका कायाकल्प नही करवाया गया तो आने वाली पीढ़िया सिर्फ टीवी में ही उनका दर्शन कर सकेगी , क्योकि जी प्रकार से कुओ को कूड़ा करकट से पाटा जा रहा है , उसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले कुछ वर्षों में कुओ का नामो निशान मिट जाएगा ।
- राजेश्वर राणा ने सीएम नीतीश के जन्मदिन पर दी बधाई, कहा – 2025 फिर से नीतीश
- दरभंगा में नवनिर्मित प्रेस क्लब का मंत्री महेश्वर हजारी ने किया उद्घाटन
- Career Point, Kota का दरभंगा में भव्य शुभारंभ, अब रूकेगा मिथिलांचल के बच्चों का पलायन
- नए वेराइटी व नए लुक के साथ श्री कलेक्शन शोरूम का शुभारंभ
- सैन्फ़ोर्ट इंटरनेशनल स्कूल का तीसरा Annual Sports Meet मनमोहन प्रस्तुति से बच्चों ने खूब तालियां बटोरी
इसलिए कुओ के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रशाशन को कड़े कदम उठाने चाहिए , बुजुर्ग रामदीन काका ने बताया कि भैया अब महज शादी बरातों में सिर्फ इनका पूजन किया जाता है लेकिन धीरे धीरे आधुनिक युग को देखते हुए अइसन लग रहा है कि आने वाले समय मे कुएं तो बच नही पाएंगे लोग नलो की पूजा कर लकीर की फकीर पिटेंगे , क्योकि पंचायत के प्रतिनिधि कुओ के अस्तित्व की ओर से अपना ध्यान बिमुख कर चुके है , और कुएं अवैध अतिक्रमण का शिकार हो धीरे धीरे पतन की गहरी खाई में समाहित हो अपना वजूद खो रहे है , और जिम्मेदारों की उदासीनता का खामियाजा गांवो में बचे खुचे कुएं अपना अस्तित्व खो रहे है । और जिम्मेदारों का ध्यान शेष बचे कुओ की ओर से बिमुख है और कुएं अपनी दींन हींन दुर्दशा पर आशु बहा अपने अस्तित्व की लड़ाई से जूझ रहे है ।