डेस्क। बिहार में डाटा इंट्री ऑपरेटरों ने सेवा समायोजन की मांग को लेकर कुछ माह पूर्व बड़ा आंदोलन किया था लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। अब एक नया मामला बेगुसराय से सामने आया है जहां के एक डाटा इंट्री ऑपरेटर ने संविदा की नौकरी, सेवा समायोजन ना होने और वेतन नहीं मिलने को लेकर आजिज होकर इच्छा मृत्यु की अनुमति हेतु राष्ट्रपति को आवेदन लिखा है।
बेगुसराय के बछवाड़ा अंचल कार्यालय के एक डाटा इंट्री ऑपरेटर ने सीओ को अपना इस्तीफा भेजते हुए राष्ट्रपति से जीवन समाप्त करने की अनुमति मांगी है। आनंद कुमार नाम के डाटा इंट्री ऑपरेटर ने इसको लेकर कुल दस पेज का डिजिटल आवेदन तैयार किया है। जिसे उसने सभी को ई-मेल किया है। अपने आवेदन में आनंद कुमार ने मुख्य रूप से समय पर वेतन नहीं मिलने, स्थायी सेवा नहीं होने, काम का समय तय नहीं होने और अधिकारियों के रवैये को जिम्मेदार ठहराया है। सीओ को दिए आवेदन में उसने कहा है कि मौजूदा नौकरी को जारी रख पाना संभव नहीं है इसलिए उचित नोटिस-अवधि के साथ इस्तीफा देता हूं।
हमें आउटसोर्स एजेंसी का गुलाम बना दिया गया है साथ ही कहा है कि बिना किसी सक्षम प्राधिकार के, हमें आउटसोर्स एजेंसी का गुलाम बना दिया। जिसमें नियम व संविधान को ताक पर रखकर बिना किसी सुनवाई के व बिना अपील का प्रावधान के, सेवा शर्त में ही सेवा वापसी का गैर-संवैधानिक अधिकार नियंत्री पदाधिकारी को दे दिया गया है। साथ ही कहा कि इस व्यवस्था में जब सामान्य से ज्यादा दिनों का अवकाश चाहिए नियंत्री पदाधिकारी सक्षम प्राधिकार नहीं होते हैं। लेकिन जब नौकरी खाने की बात हो, इतने बड़े फैसले के लिए हमारे नियंत्री पदाधिकारी ही काफी होते हैं। इसी तर नौकरी देने की बात हो तो 2-2 स्तर का टेस्ट पास करने के उपरांत भी 2-3 साल का इंतजार करवाया जाएगा। लेकिन जब नौकरी से लात मारने की बात हो तो कोई भी संवैधानिक सक्षम प्राधिकार नहीं, कोई उचित वजह नहीं, कोई सुनवाई नहीं, नियंत्री पदाधिकारी का जब मन चाहे एक पत्र लिखें और सेवा वापस कर दें।
अपने पत्र में आनंद कुमार ने कहा है कि ऐसे तो वह अप्रैल में ही इस्तीफा दे देता, लेकिन चुनाव के कारण ऐसा नहीं किया। लेकिन अब, एक महीने के नोटिस अवधि के साथ आवेदन देते हुए कहा है कि 31 जुलाई उसका अंतिम कार्य-दिवस होगा। इसके बाद वह कार्यालय आना बंद देगा। साथ ही कहा कि जैसा उसने किताबों में अपने देश के बारे में पढ़ा था वैसा अपने यहाँ की व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण इस व्यवस्था में सामंजस्य नहीं बना पाना संभव नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि अब जीने की इच्छा समाप्त हो चुकी है। साथ ही कहा है कि वर्तमान में वह कानूनी तरीके से अपना जीवन समाप्त करने की इच्छा लेकर जी रहा है।