डेस्क। रामनवमी से पहले आज यानी 12 अप्रैल से बिहार में आस्था का महापर्व चैती छठ (चैत्र माह की छठ पूजा) शुरू हो गया है। नहाय खाय के साथ चैती छठ की शुरूआत हो गई है। बिहार में महापर्व छठ दो बार मनाया जाता है। एक बार कार्तिक मास में और दूसरी बार चैत्र मास में।
हिंदू पचांग के पहले माह चैत्र में नवरात्रि के साथ ही चैती छठ का महापर्व भी आता है। इस दौरान छठी माता और सूर्य देव की पूजा का विधान है। मान्यताओं के अनुसार चैती छठ के दौरान व्रत रखने से छटी माता की कृपा से संतान की आयु लंबी होती है, वहीं सूर्य देव के आशीर्वाद से जीवन में ऊर्जा और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
चार दिवसीय महापर्व की ये है पूरी तिथि –
नहाय-खाय (12 अप्रैल): यह चैती छठ का पहला दिन है। इस दिन, भक्त नहाकर शुद्ध होते हैं और सात्विक भोजन करते हैं।
खरना (13 अप्रैल): यह दूसरा दिन है। इस दिन, भक्त सूर्य देव और छठी माता को गुड़, लकड़ी, फल और मिठाई से बनी खीर का भोग अर्पित करते हैं।
संध्या अर्घ्य (14 अप्रैल): यह तीसरा दिन है। इस दिन, भक्त सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं।
प्रातः अर्घ्य (15 अप्रैल): यह चैती छठ का अंतिम दिन है। इस दिन, भक्त सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और फिर व्रत का पारण करते हैं।