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अव्यवस्था के कारण आश्रय केंद्रों में हो रही पशुओं की मौत

माल/लखनऊ (राम किशोर रावत) : बिना किसी ठोस रणनीति के शुरू कराये गए पशु आश्रय स्थल पंचायतों के लिये जी का जंजाल बन गयी हैं।चारे पानी के लिये समय पर पैसा न मिलने से परेशान कई आश्रय स्थल बंद हो गए हैं। अव्यवस्था के कारण तमाम जानवर मर गए जबकि तमाम मजबूरी में छोड़ दिये गये।सरकार की प्राथमिकता होने के कारण अब कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही भी होने के आसार बन गये हैं।माल क्षेत्र में जिलाधिकारी के निर्देश पर बीडियो अरुण कुमार सिंह की देखरेख में इक्कीस पशु आश्रय स्थलों का निर्माण शुरू कराया गया।

इसमें रुदानखेड़ा,खंडसरा, निर्माण के बाद शुरू नहीं हो सकी।वहीँ मड़वाना,रनीपारा,पारा भदराही,चंद्रवारा,अहिंडर,ससपन,मसीढा रतन,आंट,बड़खोरवा,नवीपनाह,भानपुर,मसीढा हमीर में स्थलों को शुरू किया गया।यहाँ बत्तीस सौ से अधिक गोवंशीय जानवरों को बंद किया गया था।फरवरी माह में शुरू हुए इन स्थलों के संचालन के लिए मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय ने अब तक करीब छ्ब्बीस लाख रुपये बीडियो के खाते में दिए हैं।बीडियो ने जिन पंचायतों के उपभोग सम्बन्धी अभिलेख पूर्ण मिले उन्हें पैसा बाँट दिया।गर्मी शुरू हुयी तो स्थलों में बंद जानवरों की शामत आ गयी।खुले आसमान के नीचे कई स्थलों में जानवर मरने लगे।क्षेत्र में मृत पशुओं के शवों का निस्तारण के लिए भी कोई सरकारी इंतजाम नही है।सैकड़ो जानवर बेमौत मर गये।लिहाजा पंचायतों ने स्थल संचालन में असमर्थता जाहिर की।यह बात प्रशासन को नागवार गुजरी और कर्मचारियों पर कार्यवाही किये जाने की तैयारी हो गयी।सचिव और प्रधानों ने अपने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पहले बिना किसी भुगतान के ही जेसीबी से स्थल की खुदायी और गेट आदि की व्यवस्था करायी गयी।उसके बाद जानवरों के चारे का भुगतान भी समय से नहीं मिला।व्यय भुगतान को लेकर जो सत्यापन प्रणाली बनायी गयी वह भी परेशानी का कारण है।

लेखपाल,पशुचिकित्सक,सचिव,प्रधान के सयुंक्त सत्यापन के बाद उपभोग जिले को भेजा जाता है।कभी लेखपाल कभी चिकित्सक हस्ताक्षर करने में हीलाहवाली करते हैं।तीस रुपये प्रतिदिन प्रति जानवर के हिसाब से चारे पानी का पैसा मिलता है।उसी में काम करने वाले लेबर को भी मजदूरी दी जानी है।अभी तक महंगे रहे चारे और भुगतान की कमजोर हालत ने पंचायतों को छका दिया है।बीडियो भानु प्रताप सिंह ने बताया अधिकांश स्थल मनरेगा योजना से बनाये गये हैं।कार्ययोजना में शामिल प्रस्ताव के आधार पर बने स्टीमेट को स्वीकृत कर भुगतान भी किये गये हैं जिन पंचायतों ने मनरेगा और राज्य वित्त दोनों योजनाओं की धनराशि नियमानुसार खर्च की है उनके भुगतान भी हो गये हैं।तथा पंचायतों की शंका दूर करने के लिये समस्त सचिवों को पत्र जारी कर चारे और अन्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिये राज्य वित्त आयोग की धनराशि खर्च किये जाने की अनुमति दी गयी है।मृत पशुओं के शव निस्तारण के लिए उन्होंने बताया कि जिला पंचायत के ठेकेदार को निर्देशित करा दिया गया है।स्थलों को व्यवस्थित करने के लिए सभी जगह छाया,चारा भंडारण और पानी के इंतजाम कराये जा रहे हैं।जिले से मिलने वाली धनराशि भी अब सीधे स्थल संचालन के लिए खुले खातों में प्रेषित की जायेगी।

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