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कमीशनखोरी :: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों की चांदी, बाहर से महंगी दवा खरीद रहे मरीज

माल / लखनऊ (राम किशोर रावत) : माल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टरों द्वारा मरीजों को जांच से लेकर महंगी महंगी दवाइयां पर्चे पर बाहर से लिखी जा रही हैं। जिससे दूर-दराज से आए मरीजों को निराशा झेलनी पड़ रही है इस स्वास्थ्य केंद्र पर यह कोई पहला मामला नहीं है शिकायत करने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जानबूझकर अंजान बने रहते हैं।

माल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर चाहे महिला डॉक्टर हो या पुरुष डॉक्टर इनके द्वारा मरीजों के पर्चे पर ओपीडी के समय जांच से लेकर महंगी महंगी टेबलेट सिरप ट्यूब बाहर से लिखी जाती हैं जबकि मरीजों को सरकारी दवाइयां नाम मात्र दी जाती हैं वह दवा दिखाने डॉक्टर के पास पहुंचते हैं तो डॉक्टर द्वारा जो दवा नहीं खरीदते हैं उनको यह कहा जाता है कि यह सारी दवा बाहर से लेकर आओ फिर हम किस तरह खाना है बताते हैं जबकि अंदर जो महंगी सिरप व ताकत की कैप्सूल उपलब्ध होते हैं वह सिर्फ अपने चहेतों को ही देते हैं। बाकी गरीब जनता के साथ भेदभाव करने में भी पीछे हटते नहीं देखे जा रहे हैं फार्मासिस्ट। स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज के लिए गए कृष्ण कुमार ने बताया कि खांसी बुखार की भी दवा इस अस्पताल में नहीं उपलब्ध कराई गई इतना ही नहीं जांच भी बाहर से कराने को कहा जाता है दो जाच करने के 800 रूपये पडेंगे।सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब कोई मरीज बाहर से महंगी दवाइयां लिखे जाने का विरोध करता है तो उस डॉक्टर द्वारा पुलिस को सूचना देकर सरकारी काम में बाधा बता कर पुलिस के हवाले कर दिया जाता है जिसके चलते मरीजों को विरोध करना महंगा पड़ जाता है। इस अस्पताल पर ओपीडी के समय दर्जनों की संख्या में मरीजों को बाहर मेडिकल स्टोर से पॉलिथीन में हजारों रुपए की दवा लेकर आते जाते देखा जा सकता है।इतना ही नहीं इन डॉक्टरों द्वारा जितनी महंगी दवाइयां मरीजों के पर्चे पर लिखी जाती हैं उतना ही अधिक इन डॉक्टरों को कमीशन मिलता है।

सूत्रों की मानें तो इस स्वास्थ्य केंद्र पर प्रतिदिन डॉक्टरों द्वारा हजारों रुपए की कीमत की दवाइयां बाहर से लिखी जाती हैं जिससे मरीजों का कहना है कि काफी दूर से यहां आने के बाद भी पैसा लेकर ही दवा खरीदना पड़ता है इससे अच्छा तो इससे कम पैसे में उन्हीं झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज करा ले तो ज्यादा सही रहता है यह डॉक्टर अपनी कमीशन के लालच में क्षेत्र के मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ करते देखे जा रहे हैं।

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