लखनऊ : आट पंचायत में बने पशु आश्रय केंद्र पर पशुओं की खाने व देखरेख करने की व्यवस्था साहू लैंड मार्क द्वारा किए जाने के बाद भी जिम्मेदार भूसा व देखरेख करने के नाम पर निकाल रहे पैसा। जबकि आज भी अव्यवस्थाओं के बीच रह रहे पशु गांव में भी घूम रहे हैं आवारा सांड।
माल विकासखंड के ग्राम पंचायत आट में बनाए गए पशु आश्रय केंद्र मे प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो कुल 73 पशु बंद किए गए थे जिसके बाद पशु चिकित्सा अधिकारी ने 50 पशुओं ट्रैकिंग किया गया था। सबसे बड़ी बात तो यह है कि 2 माह से इन पशुओं की देखरेख साहू लैंड मार्क प्राइवेट लिमिटेड द्वारा खाने की व्यवस्था व एक आदमी देखरेख करने के लिए रखा है जिसका पैसा स्वयं साहू द्वारा ही दिया जाता है।पीर नगर गांव निवासी रघुनाथ ने बताया कि हम 2 माह से इसी पशु आश्रय केंद्र पर इन पशुओं की देखरेख कर रहे हैं जिसका पैसा हमें साहू लैंड मार्क द्वारा दिया जाता है
और 3 ट्राली भूसा व एक महिंद्रा पिकअप भूसा साहू लैंड मार्ग द्वारा दिया जा चुका है। सूत्रों की मानें तो इसके बाद भी ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम प्रधान द्वारा इन पशुओ की देखरेख करने के लिए एक व्यक्ति को रखा गया है और भूसे के नाम पर भी पैसे का खर्च दिखा रहे हैं ग्राम पंचायत अधिकारी।जबकि इन पशुओं की संख्या आज 32 बची हुई है। जबकि अट्ठारह पशु कहां गए यह कोई बताने वाला नहीं है।वही ग्राम पंचायत अधिकारी ने बताया कि इन पशुओं के खाने व देखरेख की व्यवस्था के नाम पर पैसा निकाला गया है जबकि ग्राम पंचायत अधिकारी को इस पशु आश्रय केंद्र पर पशुओं की संख्या कि भी जानकारी नहीं है।वही आज भी
- दरभंगा झंझारपुर समेत पांच सीटों को साधेंगे पीएम मोदी
- एडीजे प्रथम श्री रामाकांत की अध्यक्षता में विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
- दरभंगा :: 06 मई से 08 मई तक होगा ए.वी.एस.सी/ए.वी.पी.डी का मतदान, बनाए गए 23 मतदान दल
- बड़ी कार्रवाई :: BPSC पास शिक्षकों को ससमय नहीं दी सैलरी तो के के पाठक ने सभी DEO और DPO के वेतन पर लगाई रोक
- बड़ा खुलासा :: कोविशील्ड वैक्सीन का साइड इफेक्ट आया सामने, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
आट गांव में आवारा सांड खुलेआम घूम रहे हैं जब यह पूछा गया कि जिला अधिकारी द्वारा तो ग्राम पंचायत अधिकारी व क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा घूम रहे आवारा पशुओं को गौशाला में बंद करने को कहा गया है तो कहा कि जिलाधिकारी तो सब आदेश करते हैं लेकिन क्या क्या किया जाए। ग्रामीणों की मानें तो इस पशु आश्रय केंद्र पर पशुओं के खाने पीने व देखरेख करने के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है जिसके बाद भी आज इन पशुओं को अव्यवस्थाओं के बीच ही रहना पड़ रहा है इस पशु आश्रय केंद्र पर पशुओं की संख्या कम होने के बाद भी कोई भी जिम्मेदार यह बताने वाला नहीं ही यह पर्स कहां हैं।