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उपेक्षा का दंश झेल रहे ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम पंचायत सदस्यों की उपेक्षा क्यो ?

मोहनलालगंज/लखनऊ (सूरज अवस्थी) : एक ओर सरकार सबका साथ और सबका विकाश की बड़ी बड़ी बातें राजनैतिक मंचो से करती है । वही दूसरी ओर पंचायत से चुनाव लड़कर जनता की सेवा सभी प्रतिनिधि करते है , चाहे सांसद हो , विधायक हो , जिलापंचायत सदस्य हो , छेत्र

पंचायत सदस्य हो , या फिर ग्राम प्रधान , सभी को सरकार कुछ न कुछ दे रही है , और विकास कार्यो को करवाने का लक्ष्य भी , वही दुसरी ओर ग्राम पंचायत के सबसे छोटे पद ग्राम पंचायत सदस्य को क्या मिल रहा है , ये एक अहम बात है ।


ग्रामीण जनता उन्हें भी चुनती है , और गांवो में वार्ड वाइज पंचायत सदस्य चुने जाते है , हर पंचायत में करीब करीब 15 पंच ग्रामीण जनता द्वारा चुने जाते है । वही 1 ग्राम प्रधान , व 2 क्षेत्र पंचायत सदस्य , वही क्षेत्र पंचायत सदस्य , व जिला पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधान जी को सारी सुविधाएं और सरकारी योजनाओं के लाभ भी मिलते है , और वेतन भी , वही ग्राम पंचायत सदस्यों को भला क्या मिलता है , ये बात जानते सभी है , लेकिन उनकी पीड़ा समझने वाला कोई नही , अधिकतर ग्राम पंचायतों में पंचायत के सारे कार्य ग्राम प्रधान व सचिवो के द्वारा किया जाता है । वही ग्राम पंचायत सदस्यों से सरकारी कोरम पूरा करने के लिए सिर्फ पंचायत के एजेंडे पर हस्ताक्षर अवश्य करवा लिए जाते है । ये बात गांवो में चुने गए ग्राम पंचायत सदस्यों ने बताई , इतना ही नही सदस्यों ने ये भी बताया कि प्रधनो द्वारा पंचायत सदस्यों के घरों पर कार्यवाही रजिस्टर भेजकर सिर्फ हस्ताक्षर करवा कर गांवो में होने वाले कार्यो का कोरम मात्र पूरा कराकर अपना उल्लू सीधा कर लेते है । कार्यवाही रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के पश्चात बेचारा ग्राम पंचायत सदस्य अपने आप को ठगा सा महसूस करता है । और अपनी दीन हीन दशा पर सिर्फ पछतावा करता है । और उन्हें कोई नही पूछता की आप कौन हो कोई अधिकारी उन्हें नही पहचानता , पंचायत सदस्यों की माने तो प्रधान जी भी उन्हें जीरो मानते है । वही कुछ पंचायत सदस्यों ने दबी जबान से नाम न छापने की शर्त रखकर बताया कि कुछ पंचायत सदस्य जरा से लालच के फेर में पंचायत का कोरम पूरा कर देते है , और फायदा प्रधान जी उठाते है और वो अपने आप को ठगा सा महसूस करते है । और 15 मेसे आठ ने हस्ताक्षर कर दिए कोरम पूरा । इन सब से अलग अधिकतर गांवो में पंचायतो की बैठक ग्राम प्रधान व सचिव सरकारी जगहों पर न करके ग्राम प्रधानो के घर पर ही कर सरकारी कोरम अपने चहेते पंचायत सदस्यों को बुला पंचायत की कार्यवाही पूरी

कर मामलों से इति श्री कर लेते है । वही ग्राम पंचायत सदस्यों को सरकार भी कुछ नही देती , और पंचायत से भी कुछ मयस्सर नही हो पाता जबकि अन्य जनप्रीतिनिधियो को सारी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जाती है । तो फिर ग्राम पंचायत सदस्यों की उपेक्षा सरकार द्वारा क्यो की जाती है । और जो पंचायत सदस्य प्रधान व सचिव के कहे के हिसाब से नही चलते वो सिर्फ उपेक्षा का दंश झेलते है । उपेक्षित भी होते है और वार्ड के ग्रामीणों की खरी खोटी भी सुनते है , लेकिन उनकी बात कोई नही सुनता जो उनके वार्ड की जनता उनसे कहती है प्रधान व सचिव आस्वाशन देने में कोताही नही बरतते लेकिन उनका काम शायद ही हो पाता है । इतना सब सहने के बावजूद उन्हें क्या मिलता है ये बात किसी से छुपी नही है । वही असली मलाई तो प्रधान और सचिव काटते है । सरकार को पंचायत सदस्यों के बारे में भी कुछ सोचना चाहिए , आखिर वो भी पंचायत का एक अंग है छोटा ही सही ।

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